शनि देव पर भक्ति शायरी और आशीर्वाद: शनि देव की कृपा - Devotional Shayari and Blessings on Shani Dev: The Grace of Shani Dev

शनि देव पर भक्ति और शायरी: शनि देव का आशीर्वाद

शनि देव की भक्ति में कई सुंदर शायरी और कविताएं हैं जो उनकी कृपा और शक्ति को दर्शाती हैं। ये शायरी और भक्ति कविताएं आपके ब्लॉग पर एक सकारात्मक और आध्यात्मिक प्रभाव डाल सकती हैं। नीचे दिए गए शायरी और कविताओं का संग्रह आपके ब्लॉग पोस्ट के लिए उपयुक्त रहेगा:


1. शरण में आये जो भी तेरी #शनिदेव

वो कष्टों से मुक्ति पाता है  
तेरी ही कृपा से शनि देव
हर दुःख दूर हो जाता है
#जय_श्री_शनि_देव_नमः🌹

2. श्री शनिदेव महाराज जी की जय 🚩🙏🏻

शनिदेव की कृपा से आप सभी का दिन शुभ हो 🚩🙏🏻
#शनिदेव

3. शनि देव की कृपा हो सदा,

हर दुख, हर संकट दूर हो.....
न्याय के देवता हैं वो,
सच की राह पर चलना सिर्फ़ ज़रूरी हो।
#जय_शनि_देव

4. शनि देव की शक्ति का ही आशीर्वाद है~

इस संसार में इज्जत की
“दो टाइम की रोटी”
जिसने खाई है
वही बहुत किस्मत वाला है .
ॐ शनि देवाय नमः

5. कर्म करो ऐसा कि सबको हो फक्र,

हरदम समय का चलता है चक्र,
सिर्फ भगवान शनि की दृष्टि
ना हो हमारे शुभ कार्यों पर वक्र।
जय श्री शनि देव

6. एक शनि देव ही है

जो हमें आगे बढ़ने के लिए उत्साह देते है
और जब दुनिया वाले
हमारा साथ छोड़ देते हैं
तब शनि देव ही काम आते है.
ॐ शनि देवाय नमः

7. कभी मंगल तो कभी शनि

कभी राहु भारी है,
हर किसी के जीवन में
इक संघर्ष जारी है.
ॐ शनि देवाय नमः

8. बहुत ही मुश्किल है

इस संसार में दो वक्त का खाना मिलना,
जिसको मिला है
उसने आराम से खाया है
जिसको नहीं मिली वह सुखी-भासी खाया है.
ॐ शनि देवाय नमः

9. अगर आज दुःख के बादल छाएं है,

तो कल सुख की बरसात भी लाएंगे,
मैं भी भगवान शनि देव का भक्त हूँ
देखता हूँ कब तक मुझे वो रुलाएंगे।
ॐ शनि देवाय नमः

10. जयति जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके।
हिये माल मुक्तन मणि दमकै॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णो, छाया, नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥
सौरी, मन्द शनी दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं।
रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होइ निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत वन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुं की मति हरि लीन्हयो॥

11. जय जय श्री शनिदेव प्रभु सुनहु विनय महाराज ।

करहु कृपा हे रवि तनय राखहु जनकी लाज ॥
#जय_श्री_शनिदेव

12. जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।

करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।
!! जय शनिदेव !!

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