दिल की गहराई से निकली शायरी
जब भी आईने में खुद से नज़रे मिलाओगे,
अपनी आँखों में तुम नक्श मेरा पाओगे,
किसी दिन इन्तजार में मर जाऊँगा मैं,
फिर बताओ नया ‘प्रवेश’ कहाँ से लाओगे।
हवायें फैसला करेगी नई रोशनी का!
अब जिस चिराग मे दम होगा वही जलेगा!!
सुनो हवाओ, चिरागों को छोड़ दो तन्हा,
जो जल रहे है, उन्हें और क्या आज़माना
जिस्म पर जो निशान हैं न, जनाब
वो सारे बचपन के हैं..
बाद के तो सारे
दिल पर लगे है...
इतने बुरे ना थे जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ.
तेरे अपने फैसले पर एक दिन तुझे भी अफसोस होगा!!!🌹💐🌹
सिखा दिया दुनिया ने मुझे अपनो पर भी शक करना
मेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था..!!
साँवरे सलोने का देखो लग गया दरबार भी
आ गयीं मीरा दीवानी छोड़ कर संसार भी
प्रेम का अभिसार कान्हा, राधिका का प्यार भी
कर्म का आधार कान्हा, है जिन्दगी का सार भी
गोपियों को वो रिझाते बांसुरी की तान पर
होंठ पर रखकर मुरलिया गा रहे मल्हार भी
अपने चरणों में जगह दे श्याम मैं दास तेरा
बस पकड़ ले उंगली हो जाएगा नइया पार भी
मैं सुदामा हूँ अगर तो कृष्ण मेरा यार भी
राधिका जो बन गया तो कृष्ण मेरा प्यार भी
ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है 🖋
तो मेरा लहू लेले,🔻
यूं कहानियां अधूरी न लिखा कर
कभी देखेंगे ए*जाम तुझे होठों से लगाकर,
कि मुझमे तू उतरता है कि तुझमे मैं उतरता हूँ…
जख्म है कि दिखते
…….. नही ,
मगर ये मत समझिए
कि दुखते नही…..
नज़र मे जब भी कोई खुश जमाल आता है..!!
क़सम ख़ुदा की तुम्हारा ख्याल आता है..!!
सुबह हो तो तेरे चेहरे की धूप से हो
वरना तेरे ख्वाबों की रात ही अच्छी हे
किस तरहा जीने अंदाज छोड़ दें
क्या रखा है हमारे पास इस अंदाज के सिवा
"शाम होते ही चिरागों से ....... तुम्हारी गुफ्तगू
बहुत मसरूफ हो जाते हैं हम ....... घर जाने के बाद !!
सुनो हवाओ, चिरागों को छोड़ दो तन्हा,
जो जल रहे है, उन्हें और क्या आज़माना
हम तो लिख देते हैं जो भी दिल में आता है हमारे.....
आपके दिल को छू जाए तो इत्तफाक समझिये.
ए बादल इतना बरस के नफ़रतें धुल जायें,
इंसानियत तरस गयी है मुहब्बत के सैलाब को..!!
कुछ लम्हे में दोबारा जीना चाहti हूँ
मैं तुम्हें फिर से पहली बार देखना चाहti हूँ..
हमने सिया है इश्क़ में होठों को इस कदर,,,
जिसने भी दी ज़माने में हमारी मिसाल दी...
उल्फ़त
मुहब्बत
अश्क
वफ़ा
अफ़साने
उन्स
तंझ
मुरव्वत
रश्क
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तुम्हारे ईश्क ने सनम
कितना अदब ए उर्दू बना दिया...
किसी का इश्क, किसी का ख़्याल थे हम भी,
गए दिनों में, बहुत कमाल थे हम भी...!!
तू अब भी बड़ा कमाल है
बड़ी*बड़ी मिसालों मे
आज भी बेमिसाल है
जब भी देखता हूँ तेरी मोहब्बत की पाकीज़गी
दिल करता है तेरी रूह को काला टीका लगा दूँ
बशीर बद्र
खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर।
चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर।
दर्द हीरा है, दर्द मोती है,
दर्द आँखों से मत बहाया कर।
काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातोंबातों मे मुस्कुराया कर।
धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे किसी बहाने आया कर।
कौन कहता है दिल मिलाने को,
कमसे*कम हाथ तो मिलाया कर।
उसने मेरा हाथ थामा था उस पार जाने के लिए…
और मेरी एक ही तमन्ना थी कभी किनारा ना आए…
तेरी निगाहों के यूं ही कायल थे हम
क्या जरूरत थी आजमाने की
यूं ही बेहोश पड़े थे तेरी राहों में
क्या जरूरत थी अलग से मुसकुरानें की
मोहब्बत नहीं है तो नजरें भी ना मिलाया करो……
इन आँखों पे भरोसा कर के लुट गए हैं हम...
कुछ इस कदर है "नाम" की दीवानगी तेरे लिये
जो तेरा जिक्र करे उससे भी प्यार हो जाता है...
सुनो
तूम भी बिल्कूल मेरी तरह ही हो,,,,,,
अल्फाजों से भरपूर...पर ...खामोश
तेरे ढाई अक्षर से दिन मेरा कुछ यूँ महक गया.
सम्भला था ये दिल जरा सा की फिर बहक गया..
"एक नाम ठहर जाता है उम्रभर के लिए जुबां पर ,,
कौन कहता है कि वक्त .....ठहरता नहीं है ♡
वो चाहते है,
जी भर के प्यार करना…
हम सोचते है,
वो प्यार ही क्या,
जिससे जी भर जाये
या तो खरीद लो..,
या खारिज़ कर दो मुझे दोस्तों,
यूँ सहूलियत के हिसाब से,
किराये पर मत लिया करो मुझे..
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