Love Shayari hi Shayari (लव शायरी हाय शायरी)

Love Shayari hi Shayari  (लव शायरी हाय शायरी)

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पीने पिलाने की क्या बात करते हो,
कभी हम भी पिया करते थे,
जितनी तुम जाम में लिए बैठे हो,
उतनी हम पैमाने में छोड़ दिया करते थे!!
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आइना देखा जब तो खुद को तसल्ली हुई,
खुदगर्जी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें।🙂
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बच्चे के रूप में,मुझे देवी मिली है
मुझे पहले बेटा नहीं,बेटी मिली है
उसकी हसी का है, ठिकाना नहीं
हमारी खुशी का है, ठिकाना नहीं
ये शैतान बाबू नही, बेबी मिली है
मुझे पहले बेटा नहीं बेटी मिली है
हंसता हूं जब वो, पापा कहती हैं
वो हम सबके ही,दिल में रहती है
मुरझाए घर में मेरे,कली खिली है
मुझे पहले बेटा नहीं,बेटी मिली है
भैया को और हमे,पापा कहती है
वो 1 की नही हम दोनो की बेटी है
वो मुस्कुराहट में,मोहब्बत दिखी है
मुझे पहले बेटा नहीं,बेटी मिली है
दादी की प्यारी,बुआ की दुलारी है
गरीब की बेटी नही,राजकुमारी है
मैंने खुशी में एक,कविता लिखी है
मुझे पहले बेटा नहीं,बेटी मिली है
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_दिलख़ुशी का भी नाम है
हमारी, सादगी भी कमाल है
हम शरारती भी बेइंतेहा हैं
और तन्हा भी बेमिसाल हैं।
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तू जी ले ज़रा होश आने से पहले,
ठहर जा समय के बीत जाने से पहले,
ये बेचैनियाँ,शर्म सब खामखाँ हैं,
न दिल को जला दिल लगाने से पहले,
मिरा दिल है जैसे कोई धर्मशाला,
कई गुज़रे हैं तेरे आने से पहले।
तुम्हें क्या कहें हाल अपना ऐ जाना
मरे हैं कई बार हम जान जाने से पहले
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तुम्हारा इंतजार करूंगा मैं, तब तक
ये सांस नहीं निकल जाती,जब तक
मैंने बिस्तर पर,नींद ही नहीं ली पूरी
खबर कौन पहुंचा रहा है ये,सब तक
उसने कसम दी थी शराब छोड़ने की
जाम आकर रुक गया, मेरे लब तक
भीड़ से अलग खड़े हुए, की वो देखें
वो सबसे मिले,पहुंचे ही नहीं हम तक
दर्द से दर्द नहीं होता,बता देना दर्द को
यकीन ना करे तो पहुंचा देना,गम तक
फासले तुम्हारी वजह से ही है बीच में
वरना मेरा हर रास्ता जाता है,तुम तक
तू जख्म पर जख्म, देता जा गिन मत
इतने दे,की निकल जाए मेरी दम तक
उसकी पलकों से सुबह,जुल्फों से शाम
इशारा करे तो,कायनात जाए थम तक
पता नहीं शायद उसका,कोई रिश्ता है
उसका खत कोई पहुंचाता है रब तक
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नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।🙂
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दुनिया है यारो , मुह पर सलाम और..!*
*महफिल मे बदनाम करती है..!*🙂
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होंठो की हंसी को न समझ
हकीकत- ए- ज़िंदगी,

दिल में उतर कर देख
कितने टूटे है हम...!
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क्या करना है इसे,क्या करना चाहता है
ये आईना भी,मेरे जैसा बनना चाहता है
डर नहीं लगता है इसे, मौत से जरा भी
बस ये दिल मोहब्बत से,डरना चाहता है
सुखनबरो ने,हर किताब में इश्क लिखा है
अब तू कौन सी किताब,पढ़ना चाहता है
वो सुबह होते ही,क्यों बुझा देते हैं चिराग
अब ये चराग उजालों से,लड़ना चाहता है
बड़ा दुख दिया है उनको, इन कांटो ने मेरे
ये फूल अब डाल पर ही,झड़ना चाहता है
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होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है।
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मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए
मिरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए
ज़मीं सख़्त है आसमाँ दूर है
बसर हो सके तो बसर कीजिए
सितम के बहुत से हैं रद्द-ए-अमल
ज़रूरी नहीं चश्म तर कीजिए
वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिर
वही जुर्म बार-ए-दिगर कीजिए
क़फ़स तोड़ना बाद की बात है
अभी ख़्वाहिश-ए-बाल-ओ-पर कीजिए
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मैं एक शाम जो रोशन दिया उठा लाया,
तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया।🙂
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याद ऐसे करो की हद्द न हो,
भरोसा इतना करो कि शक न हो,
इंतज़ार इतना करो कि कोई वक़्त न हो,
प्यार ऐसे करो की कभी नफरत न हो... ❤️
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हम किताबों से ही दिल लगाया करते हैं,
हम इनके साथ ही वक्त बिताया करते हैं।।
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लोग तो सिर्फ हमें हमेशा सताया करते हैं,
हमें ज़िन्दगी के उसूल सिखाया करते हैं।।
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बिना मकसद के ज्ञान फैलाया करते हैं,
सिर्फ यही सच्चे रिश्ते निभाया करते हैं।।
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सही गलत की पहचान बताया करते हैं,
हम किताबों से ही दिल लगाया करते हैं ।।
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कुछ अलग ही करना है
तो वफ़ा करो दोस्त।
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मज़बूरी का नाम लेकर
बेवफाई तो सभी करते है।🙂
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"स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे,
"रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।"

रामधारी सिंह दिनकर
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मेरी खामोशियों का लिहाज़ कीजिए!
लफ्ज़ आप से बर्दाश्त नहीं होंगे...
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दास्तान ए मोहब्बत, सुना कर बैठा हूं
बहुत ज़ख्म दिल पर, खा कर बैठा हूं
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ये आंखें उसी को देखकर, उठेगी मेरी
मैं अभी तो पलके, झुका कर बैठा हूं
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भूलूंगा कैसे,भूलना ही नहीं है मुझेको
आज भी उससे दिल,लगा कर बैठा हूं
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नया ख़त नहीं आएगा, ये जानते हुए
मैं उसके पुराने ख़त,जला कर बैठा हूं
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किसी से इश्क़ भी नहीं,कर सकता मैं
उस पर सब अपना, लुटा कर बैठा हूं
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जहां पर बैठता था कभी, तेरे साथ मैं
वहीं पे अकेले हिम्मत,जुटा कर बैठा हूं
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इनकी दुआ असर कर जाए, सोच कर
अपने पिंजरे से परिंदे,उड़ा कर बैठा हूं
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ये जाहिल है,किसी पर भी आ जाता है
आज दिल को जूते से,दबा कर बैठा हूं
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महसूस करोगे, तो रोना आएगा तुम्हें
गजल नहीं हकीकत सुना कर बैठा हूं
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ये ज़रूरी है कि आंखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
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कुछ बातों को छुपाने में ही समझदारी है
जैसे
उनके लिए दिल का धड़कना अब भी जारी है___!!❤️
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अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ
तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ
या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ
मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ
जो तिरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं
क्यूँ न तुझ को कोई तेरी ही अदा पेश करूँ
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मैं यूं ही फिरता रहता हूं, गलियों में
मैं मुसाफिर नहीं मंजिल से भटका हूं

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खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर,
बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर, 
क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है, 
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई है

जो तूफानों में पलते जा रहे हैं,
वही दुनिया बदलते जा रहे है।😎
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कौन पूछता है पिंजरे में बंद पक्षी को ग़ालिब,
याद वही आते है जो छोड़कर उड़ जाते है !!

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