दिल को छूने वाली शायरी - एक खूबसूरत संग्रह - Heart-Touching Shayari - A Beautiful Collection

दिल से दिल तक - एक सुंदर शायरी का सफर

शायरी, मोहब्बत, दर्द, जज़्बात


1. खामोशियों की बात

मेरी खामोशियों का लिहाज़ कीजिए!
लफ्ज़ आप से बर्दाश्त नहीं होंगे...


2. मोहब्बत की दास्तान

दास्तान ए मोहब्बत, सुना कर बैठा हूं
बहुत ज़ख्म दिल पर, खा कर बैठा हूं

ये आंखें उसी को देखकर, उठेगी मेरी
मैं अभी तो पलके, झुका कर बैठा हूं

भूलूंगा कैसे,भूलना ही नहीं है मुझेको
आज भी उससे दिल,लगा कर बैठा हूं

नया ख़त नहीं आएगा, ये जानते हुए
मैं उसके पुराने ख़त,जला कर बैठा हूं

किसी से इश्क़ भी नहीं,कर सकता मैं
उस पर सब अपना, लुटा कर बैठा हूं

जहां पर बैठता था कभी, तेरे साथ मैं
वहीं पे अकेले हिम्मत,जुटा कर बैठा हूं

इनकी दुआ असर कर जाए, सोच कर
अपने पिंजरे से परिंदे,उड़ा कर बैठा हूं

ये जाहिल है,किसी पर भी आ जाता है
आज दिल को जूते से,दबा कर बैठा हूं

महसूस करोगे, तो रोना आएगा तुम्हें
गजल नहीं हकीकत सुना कर बैठा हूं
भैरव


3. आँखों का भरम

ये ज़रूरी है कि आंखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
राहत इंदौरी


4. दिल की धड़कन

कुछ बातों को छुपाने में ही समझदारी है
जैसे
उनके लिए दिल का धड़कना अब भी जारी है
❤️


5. दिल की पेशकश

अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ

तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ
या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ

मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ नहीं

जो तिरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं
क्यूँ न तुझ को कोई तेरी ही अदा पेश करूँ


6. गलियों की सैर

मैं यूं ही फिरता रहता हूं, गलियों में
मैं मुसाफिर नहीं मंजिल से भटका हूं
भैरव


7. मोहब्बत की खोज

खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर,
बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर,
क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है,
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई है


8. तूफानों की सच्चाई

जो तूफानों में पलते जा रहे हैं,
वही दुनिया बदलते जा रहे है।😎


9. पिंजरे में बंद पक्षी

कौन पूछता है पिंजरे में बंद पक्षी को ग़ालिब,
याद वही आते है जो छोड़कर उड़ जाते है !!


10. ज़िंदगी का सफर

ज़िंदगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र,
आखिरी सांस तक बेक़रार आदमी,
हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी।🖤


11. तरसने का मजा

मेरा तजुर्बा कहता हैं...
मजा तरसने मे ही हैं पा लेने में नही!


शायरी, मोहब्बत, दर्द, जज़्बात


1. खामोशियों की बात

मेरी खामोशियों का लिहाज़ कीजिए!
लफ्ज़ आप से बर्दाश्त नहीं होंगे...


2. मोहब्बत की दास्तान

दास्तान ए मोहब्बत, सुना कर बैठा हूं
बहुत ज़ख्म दिल पर, खा कर बैठा हूं

ये आंखें उसी को देखकर, उठेगी मेरी
मैं अभी तो पलके, झुका कर बैठा हूं

भूलूंगा कैसे,भूलना ही नहीं है मुझेको
आज भी उससे दिल,लगा कर बैठा हूं

नया ख़त नहीं आएगा, ये जानते हुए
मैं उसके पुराने ख़त,जला कर बैठा हूं

किसी से इश्क़ भी नहीं,कर सकता मैं
उस पर सब अपना, लुटा कर बैठा हूं

जहां पर बैठता था कभी, तेरे साथ मैं
वहीं पे अकेले हिम्मत,जुटा कर बैठा हूं

इनकी दुआ असर कर जाए, सोच कर
अपने पिंजरे से परिंदे,उड़ा कर बैठा हूं

ये जाहिल है,किसी पर भी आ जाता है
आज दिल को जूते से,दबा कर बैठा हूं

महसूस करोगे, तो रोना आएगा तुम्हें
गजल नहीं हकीकत सुना कर बैठा हूं
भैरव


3. आँखों का भरम

ये ज़रूरी है कि आंखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
राहत इंदौरी


4. दिल की धड़कन

कुछ बातों को छुपाने में ही समझदारी है
जैसे
उनके लिए दिल का धड़कना अब भी जारी है
❤️


5. दिल की पेशकश

अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ

तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ
या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ

मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ नहीं

जो तिरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं
क्यूँ न तुझ को कोई तेरी ही अदा पेश करूँ


6. गलियों की सैर

मैं यूं ही फिरता रहता हूं, गलियों में
मैं मुसाफिर नहीं मंजिल से भटका हूं
भैरव


7. मोहब्बत की खोज

खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर,
बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर,
क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है,
इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई है


8. तूफानों की सच्चाई

जो तूफानों में पलते जा रहे हैं,
वही दुनिया बदलते जा रहे है।😎


9. पिंजरे में बंद पक्षी

कौन पूछता है पिंजरे में बंद पक्षी को ग़ालिब,
याद वही आते है जो छोड़कर उड़ जाते है !!


10. ज़िंदगी का सफर

ज़िंदगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र,
आखिरी सांस तक बेक़रार आदमी,
हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी।🖤


11. तरसने का मजा

मेरा तजुर्बा कहता हैं...
मजा तरसने मे ही हैं पा लेने में नही!



टिप्पणियाँ