दिल को छूने वाली शायरी का बेहतरीन संग्रह
1. क्या सोचा था तुमने तुम से बिछड़ कर मर जाऊंगा,
हमने तो अपनी सारी उम्र तन्हा गुजारी है
और तुम क्या हमें अपने घर से निकालोगे
हम फकीर हैं, हमने बड़े-बड़े महलों को ठोकर मारी है।
2. शब ये आखिर जा रही है तो कहीं तो जाएगी,
हम भी चलते हैं नहीं तो दोपहर हो जाएगी!
तुम निभाओ साथ गर तो मुख़्तलिफ़ इक बात हो,
ज़िन्दगी तो यूँ भी होनी है बसर हो जाएगी!
मुतमईन था मैं कि बाज़ी जीत कर ले जाऊंगा,
क्या खबर थी मात 'अहमद' की पेशतर हो जाएगी!
राह तन्हा जानकर क्यूँ रुक गए चलते कदम,
चलते रहिए तो ज़मीं भी हमसफर हो जाएगी!
3. उधर उनकी चल रही है औरों से गुफ़्तगू,
इधर मेरी खुद से भी बोल चाल बंद है..
4. गुज़र गया वो वक़्त
जब तेरी हसरत थी मुझको,
अब तू खुदा भी बन जाए
तो भी तेरा सजदा ना करू।
5. काश कि हम मिलते ही नहीं
दिल में इश्क़ के फूल खिलते ही नहीं,
दर्द हमें मिलता ही नहीं काश कि तुझसे
ये नाजुक सा दिल लगता ही नहीं,
आंखें सूख सी गई हैं तेरे इंतज़ार में
काश कि ये आंखें तुझसे लड़ती ही नहीं,
बाते करने को बहुत से लोग थे
काश कि तुझसे बातें करते ही नहीं,
तो घाव दिल पर इतने गहरे
लगते ही नहीं!!
#WriterGirl
6. जो कहते थे कि हम तुम्हारे बिना एक पल जी ना पाएंगे, ना ही किसी से दोबारा दिल लगा पाएंगे,
पर किसको क्या पता था कि एक दिन वो ही हमें छोड़ कर दूसरे के साथ खुशी से जिंदगी जी रहे होंगे,
जो कहते थे जिस दिन हमने तुम्हें छोड़ा उस दिन हम इस दुनिया को ही छोड़ जायेंगे।
#broken #sad
7. शौक़ है इस दिल-ए-दरिंदा को,
आप के होंठ काट खाने का। 😉
8. सच बड़ी क़ाबलियत से छुपाने लगे हैं हम...
हाल पूछने पर बढ़िया बताने लगे हैं हम...
9. कोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती,
मौत का एक दिन मु'अय्यन है,
नींद क्यों रात भर नहीं आती,
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी,
अब किसी बात पर नहीं आती,
जानता हूँ सवाब-ए-ता'अत-ओ-ज़हद,
पर तबीयत इधर नहीं आती,
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ,
वर्ना क्या बात कर नहीं आती,
क्यों न चीख़ूँ कि याद करते हैं,
मेरी आवाज़ गर नहीं आती,
दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता,
बू-ए-चारागर नहीं आती,
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी,
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती,
मरते हैं आरज़ू में मरने की,
मौत आती है पर नहीं आती,
काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब',
शर्म तुमको मगर नहीं आती।
10. उस शख्स सा सुकून मेरे अक्स में नहीं
दिल भी उसी के रक्स में है बस में अब नहीं।
11. उन्हें चाहना मेरी कमज़ोरी है;
उनसे कह नहीं पाना मेरी मज़बूरी है;
वो क्यों नहीं समझते मेरी खामोशी;
क्या प्यार का इज़हार करना जरूरी है.....🙃👀
12. जमाने भर के रिश्तों से मुझे क्या लेना-देना,
बस इतना ही काफी है कि बहन मेरे साथ है. 🥀
इन भावनात्मक और विचारशील पंक्तियों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करें और शब्दों की गहराई में डूब जाएं।
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