❤️शायरों की महफ़िल❤️ - दिल से लिखी शायरी का खूबसूरत संगम
शायरी की दुनिया अपने आप में एक एहसास है, जहां अल्फ़ाज़ दिल के सबसे गहरे जज़्बातों को छूते हैं। इस महफ़िल में कुछ बेहतरीन शायरी का संगम है, जो आपके दिल को छू जाएगी। यहाँ दिल की बातों को बयां करने का सबसे खूबसूरत तरीका पेश किया गया है।
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जब जब कहीं...
जब जब कहीं
दो प्रेमी बिछड़ते हैं,
उस वक़्त
नदियाँ भी बिछड़ती हैं सागर से।
नदी का सूखना
दो प्रेमियों के बिछड़ने का
प्रत्यक्ष दर्शन है।
— आनंद रॉय
कल की हल्की बारिश में...
कल हल्की हल्की बारिश थी,
कल सर्द हवा का रक़्स भी था।
कल फूल भी निखरे निखरे थे,
कल उन पे आपका अक्स भी था।
कल बादल काले गहरे थे,
कल चाँद पे लाखों पहरे थे।
कुछ टुकड़े आपकी याद के,
बड़ी देर से दिल में ठहरे थे।
कल यादें उलझी उलझी थीं,
और कल तक ये न सुलझी थीं।
कल याद बहुत तुम आए थे,
कल याद बहुत तुम आए थे।
अंदाज-ए-मोहब्बत
बदले नहीं आज भी हम
ना ही अंदाज़-ए-मोहब्बत,
आज भी याद करते हैं तुम्हें
कभी दिन ढले, कभी रात ढले।
लफ्जों में बयां नहीं करते हम
राज़ अपनी मोहब्बत के,
पल भर में बिखर जाते हैं
अल्फ़ाज़ मोहब्बत के।
ना ही इमारत-ए-मोहब्बत है
ना ही संगमरमर की तारीफ़,
शिद्दत से चाहा है तुझे
बस यही अंदाज़-ए-मोहब्बत हमारी।
इश्क़ की मख़मूर रातें...
तुम्हारे इश्क़ से मख़मूर हूँ मैं
ये कैसे कह दूँ मेरी ज़िन्दगी,
तुमसे दूर हूँ मैं।
मैं हूँ महरूम ख़ुद के नाम से
कि तेरे इस्म से मशहूर हूँ मैं।
तकल्लुफ़ इश्क़ का करता,
बड़ी मुश्किल से रोका है।
कभी रोका है नज़रों को,
कभी नज़रों ने रोका है।
उदासी का मसला...
तुम्हारी उदासी सिर्फ़ तुम्हारी नहीं है,
ये उन सभी लोगों का मसला है
जो तुमसे जुड़े हुए हैं।
अपने लिए न मुस्कुरा पाओ,
ना सही,
उनके लिए मुस्कुराओ
जो तुम्हारे अपने हैं।
और सिर्फ़ होठों से मुस्कुराना काफ़ी नहीं है,
तुम्हारी आँखें भी मुस्कुराएंगी
तब ही मेरा दिल मुस्कुराएगा।
दिल की गली...
वो मुझे सादगी में ले आया,
रौशनी तीरगी में ले आया।
मैंने जाना था किस गली की तरफ,
दिल मुझे किस गली में ले आया?
मैं भी अब मानने लगी रब को,
इश्क़ तो बंदगी में ले आया।
जब मुझे साथ रख न पाएगा,
फिर मुझे किस ख़ुशी में ले आया?
ये तेरे इश्क़ का ही सदक़ा है,
जो मुझे ज़िन्दगी में ले आया।
यादों की उम्र...
आखिर कब तक तड़पेगा कोई,
यादों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
जवाब देना होगा कहीं हुई बातों का,
वादों का भी हिसाब होना चाहिए।
मैं ही नहीं, तुम भी हो बराबरी में,
सवाल करने का हक़ होना चाहिए।
वक़्त की सहूलियत से बदल दिए रास्ते,
रिश्तों में कुछ तो जवाबदेही होनी चाहिए।
चुभन न हो दिल की ज़मीन पर चलते हुए,
ख़ामोशी को कंकड़ की तरह नहीं होना चाहिए।
— रश्मि 'मृदुलिका'
तुम्हारी धड़कन...
तुम राग मेरे, मैं साज़ प्रिये,
संगीत तुम्हीं हो, गीत तुम्हीं।
तुम मेरे दिल की धड़कन हो,
तुम सीप की मेरे मोती हो।
तुम दीप मेरे, अभिसार मेरे,
तुम दीप की मेरी चंचल लौ।
रचना की मेरी स्याही हो,
तुम प्रथम बूँद हो स्वाती की।
तुम प्यार की मेरे ख़ुश्बू हो,
तुम अथक प्यार का सागर हो।
‘मनु’ की मेरी मनुहार तुम्हीं,
तुम राग मेरे, मैं साज़ प्रिये।
शायरी की हसरत...
आज फिर तुझे अपनी
शायरी बनाने का दिल चाहता है।
कुछ तुझे सुनने को,
कुछ तुझे सुनाने का दिल चाहता है।
हसरत एक छोटी सी
पूरी करने को दिल चाहता है।
बाँहों में तेरी सिमट जाने को
अब ये दिल चाहता है।
तेरे और नज़दीक आने को
अब ये दिल चाहता है।
धड़कनों का तेरा एहसास करने को
अब ये दिल चाहता है।
अकेलेपन का सफ़र...
थोड़ा थक गया हूँ,
दूर निकलना छोड़ दिया है।
पर ऐसा नहीं है कि
मैंने चलना छोड़ दिया है।
फासले अक्सर रिश्तों में दूरी बढ़ा देते हैं,
पर ऐसा नहीं है कि
मैंने अपनों से मिलना छोड़ दिया है।
हाँ, ज़रा अकेला हूँ दुनिया की भीड़ में,
पर ऐसा नहीं कि
मैंने अपनापन छोड़ दिया है।
याद करता हूँ अपनों को,
परवाह भी है मन में।
बस कितना करता हूँ,
ये बताना छोड़ दिया है।
शायरों की इस महफ़िल में मोहब्बत, यादें, और जज़्बातों के हर रंग को बयान किया गया है।
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