दिल को छू लेने वाली शायरी: मोहब्बत, दर्द, और प्रेरणा - Heartwarming Shayari: Love, Pain, and Inspiration
दिल को छू लेने वाली शायरी: मोहब्बत, दर्द, और प्रेरणा
कैसे चाहूँ तुझें बता मुझको,
इक लम्हा तो आजमा मुझको,
तेरी उल्फ़त मेरे नसीब में हो,
इतना अपने करीब ला मुझको,
तुझको पाना हैं पा के खोना नहीं,
अपनी तकदीर तू बना मुझकों।
📖✍️✨
शान से मुस्कुरा कर, सिक्के उछाल के निकले
हम जिसके भी, ख़्वाब ओ खयाल से निकले
ऐसे निकले कि फिर, कभी मुड़कर नहीं देखा
जैसे की कोई तीर, किसी, कमान से, निकले
भैरव
मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो,
मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो,
दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात,
मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो।
📖✍️✨
कुछ लोग तुम्हारे साथ
सिर्फ तब तक होते हैं
जब तक उनके पास
कोई और नहीं होता 🙂
रवैया बहुत खराब है अभी मेरे हालातों का.....
लोग बहुत जल्दी बुरा मान जाते हैं मेरी बातों का...
एक वादा किया था हमने कि चाहे
सब कुछ भूल जाएं
पर हम एक-दूसरे से किए हुए वादे कभी ना भूलेंगे।
और पता है वो वादा क्या था कि चाहे
कुछ भी हो जाए,
पर हम एक-दूसरे का साथ कभी ना छोड़ेंगे।
#sad #love #broken
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
मैं तो खुद के साथ-साथ तुझे भी संभाल लूँ,
बस तु मेरा हाथ थामे रहना...!☺
मैं तो तेरे खातिर सारी दुनिया से भी लड़ लूं,
बस तु सिर्फ़ मेरा होकर रहना...!
शाम तक सुबह की नजरों से उतर जाते हैं,
इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं। 🙂
किताबों से दलील दूं या रख दूं खुद को सामने,
वो मुझ से पूछ बैठी है मोहब्बत किसे कहते हैं।
वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का जब,
दिल तो जले, पर राख ना हो। 💝
देख मोहब्बत का दस्तूर
तू मुझ से मैं तुझ से दूर
तन्हा तन्हा फिरते हैं
दिल वीराँ आँखें बे-नूर
दोस्त बिछड़ते जाते हैं
शौक़ लिए जाता है दूर
हम अपना ग़म भूल गए
आज किसे देखा मजबूर
दिल की धड़कन कहती है
आज कोई आएगा ज़रूर
कोशिश लाज़िम है प्यारे
आगे जो उस को मंज़ूर
सूरज डूब चला 'नासिर'
और अभी मंज़िल है दूर
मैने दुनिया के सातों आसमान देखे है,
मैने साथ चलते लोग बेजान देखे है,
देखी है मैने आँधियों में पत्तों की उड़ाने,
मैने सर से पांव खोखले इंसान देखे हैं।
हम दोनो मिलकर इश्क़ निभा हि लेंगे यारो,
मुझे उसके गले लगना पसंद हैं ओर उसे मुझे चुमना 🙈😘
अगर यादों की कीमत एक पैसा भी होती,
तो आज तुम मेरे अरबों के कर्जदार होते। 🙂
सर्दी में, आग हो जाओ तुम
ये बंजर, बाघ हो जाओ तुम
ये खूबसूरती कौन देखता है
चेहरे का, दाग हो जाओ तुम
तेरा घर हो गया है, शमशान
घर की, राख सो जाओ तुम
सच्ची मोहब्बत, भी मिलेगी
हां पहले पाख़ हो जाओ तुम
लिख जाएगी कहानी,तुम्हारी
बोर्ड की,चाक हो जाओगे तुम
दुनिया तुम्हे बेवफा ही बोलेगी
एक नहीं, लाख हो जाओ तुम
सोना तो गले में,सब पहनते हैं
लोहे की,सलाख हो जाओ तुम
पढ़ लिया मोहब्बत का जुमला
अब तीन,तलाख हो जाओ तुम
भैरव
तेरी और मेरी रातों में बस इतना सा फर्क है
की तेरी राते सो कर गुज़रती है और मेरी रो कर...
हमें अपनों ने ही लूटा गैरों में कहाँ दम था.....
मेरी कश्ती वहीँ डूबी जहाँ पानी कम था। .....
झूम रही है सारी दुनिया जबकि हमारे गीतो पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है क्या अहसान तुम्हारा है!
उड़ने दे इन परिन्दो को आज़ाद फ़िज़ा में ग़ालिब,
जो तेरे अपने होंगे, वो लौट आएंगे किसी रोज़
हमने उसके लब-ओ-रुख़्सार को छूकर देखा,
हौसले आग को गुलज़ार बना देते हैं!! 🙂
सुंदर शायरी का बेहतरीन संग्रह
रूह का बंधन
बंध जाता है जब किसी से रूह का बंधन तो इज़हारे मोहब्बत को अलफाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।
रूह की उलझन
सुलझा हुआ सा समझते हैं मुझको लोग,
उलझा हुआ सा मुझमें कोई दूसरा भी है।
ख्वाबों की कमी
मरना भी मुश्किल है जिस शख्स के वगैर,
उस शख्स ने ख्वाबों में भी आना छोड़ दिया।
पन्ने पलटे बिना
तसल्ली से पढ़े होते
तो समझ में आते हम,
ज़रूर कुछ पन्ने बिना
पढ़े ही पलट दिए होंगे।
पैमानों का खेल
पीने पिलाने की क्या बात करते हो,
कभी हम भी पिया करते थे,
जितनी तुम जाम में लिए बैठे हो,
उतनी हम पैमाने में छोड़ दिया करते थे।
आइना और खुदगर्जी
आइना देखा जब तो खुद को तसल्ली हुई,
खुदगर्जी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें।
देवी बेटी
**बच्चे के रूप में,मुझे देवी मिली है
मुझे पहले बेटा नहीं, बेटी मिली है
उसकी हसी का है, ठिकाना नहीं
हमारी खुशी का है, ठिकाना नहीं
ये शैतान बाबू नही, बेबी मिली है
मुझे पहले बेटा नहीं बेटी मिली है
हंसता हूं जब वो, पापा कहती हैं
वो हम सबके ही,दिल में रहती है
मुरझाए घर में मेरे,कली खिली है
मुझे पहले बेटा नहीं, बेटी मिली है
भैया को और हमे,पापा कहती है
वो 1 की नही हम दोनो की बेटी है
वो मुस्कुराहट में,मोहब्बत दिखी है
मुझे पहले बेटा नहीं, बेटी मिली है
दादी की प्यारी,बुआ की दुलारी है
गरीब की बेटी नही,राजकुमारी है
मैंने खुशी में एक,कविता लिखी है
मुझे पहले बेटा नहीं, बेटी मिली है**
सादगी और शरारत
**दिलख़ुशी का भी नाम है
हमारी, सादगी भी कमाल है
हम शरारती भी बेइंतेहा हैं
और तन्हा भी बेमिसाल हैं।**
समय का इंतजार
**तू जी ले ज़रा होश आने से पहले,
ठहर जा समय के बीत जाने से पहले,
ये बेचैनियाँ,शर्म सब खामखाँ हैं,
न दिल को जला दिल लगाने से पहले,
मिरा दिल है जैसे कोई धर्मशाला,
कई गुज़रे हैं तेरे आने से पहले।
तुम्हें क्या कहें हाल अपना ऐ जाना
मरे हैं कई बार हम जान जाने से पहले**
वादा और इंतजार
**तुम्हारा इंतजार करूंगा मैं, तब तक
ये सांस नहीं निकल जाती,जब तक
मैंने बिस्तर पर,नींद ही नहीं ली पूरी
खबर कौन पहुंचा रहा है ये,सब तक
उसने कसम दी थी शराब छोड़ने की
जाम आकर रुक गया, मेरे लब तक
भीड़ से अलग खड़े हुए, की वो देखें
वो सबसे मिले,पहुंचे ही नहीं हम तक
दर्द से दर्द नहीं होता,बता देना दर्द को
यकीन ना करे तो पहुंचा देना,गम तक
फासले तुम्हारी वजह से ही है बीच में
वरना मेरा हर रास्ता जाता है,तुम तक
तू जख्म पर जख्म, देता जा गिन मत
इतने दे,की निकल जाए मेरी दम तक
उसकी पलकों से सुबह,जुल्फों से शाम
इशारा करे तो,कायनात जाए थम तक
पता नहीं शायद उसका,कोई रिश्ता है
उसका खत कोई पहुंचाता है रब तक**
कामयाबी का कसूर
नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।
महफिल की बदनामी
दुनिया है यारो, मुह पर सलाम और..!
महफिल मे बदनाम करती है..!
दिल की हकीकत
**होंठो की हंसी को न समझ
हकीकत- ए- ज़िंदगी,
दिल में उतर कर देख
कितने टूटे है हम।**
आईना और मोहब्बत
**क्या करना है इसे,क्या करना चाहता है
ये आईना भी,मेरे जैसा बनना चाहता है
डर नहीं लगता है इसे, मौत से जरा भी
बस ये दिल मोहब्बत से,डरना चाहता है
सुखनबरो ने,हर किताब में इश्क लिखा है
अब तू कौन सी किताब,पढ़ना चाहता है
वो सुबह होते ही,क्यों बुझा देते हैं चिराग
अब ये चराग उजालों से,लड़ना चाहता है
बड़ा दुख दिया है उनको, इन कांटो ने मेरे
ये फूल अब डाल पर ही,झड़ना चाहता है**
बे-ख़ुदी और इश्क़
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है।
~ निदा फ़ाज़ली
जिंदगी की सख्ती
**मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए
मिरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए
ज़मीं सख़्त है आसमाँ दूर है
बसर हो सके तो बसर कीजिए
सितम के बहुत से हैं रद्द-ए-अमल
ज़रूरी नहीं चश्म तर कीजिए
वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिर
वही जुर्म बार-ए-दिगर कीजिए
क़फ़स तोड़ना बाद की बात है
अभी ख़्वाहिश-ए-बाल-ओ-पर कीजिए**
रोशन शाम
मैं एक शाम जो रोशन दिया उठा लाया,
तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया।
याद और प्यार
**याद ऐसे करो की हद्द न हो,
भरोसा इतना करो कि शक न हो,
इंतज़ार इतना करो कि कोई वक़्त न हो,
प्यार ऐसे करो की कभी नफरत न हो।**
किताबों का प्रेम
**हम किताबों से ही दिल लगाया करते हैं,
हम इनके साथ ही वक्त बिताया करते हैं।
लोग तो सिर्फ हमें हमेशा सताया करते हैं,
हमें ज़िन्दगी के उसूल सिखाया करते हैं।
बिना मकसद के ज्ञान फैलाया करते हैं,
सिर्फ यही सच्चे रिश्ते निभाया करते हैं।
सही गलत की पहचान बताया करते हैं,
हम किताबों से ही दिल लगाया करते हैं।**
वफ़ा और दोस्ती
कुछ अलग ही करना है
तो वफ़ा करो दोस्त।
मज़बूरी का नाम लेकर
बेवफाई तो सभी करते हैं।
स्वर्ग की ओर
"स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे,
"रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।"
रामधारी सिंह दिनकर
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