दिल से निकली शायरी: मोहब्बत, तन्हाई और जिंदगी के अहसास

कभी क्षितिज की ओर देखा है...
कभी क्षितिज की ओर देखा है?
वहां, जहां मिलती है धरती आसमान से।
पर ऐसा सच ना होकर भी,
जो सच लगता है।
धरती हर रोज़ आसमान के कानों में
कहती है कुछ, जिसे सुनने
आसमान हर रोज़ धरती पर आता है।
हमेशा के लिए, शायद कल्पनाओं से भी अधिक सुंदर।
मैंने तुम्हारे साथ कहानियां बुनी हैं,
इन खाली आँखों से छत लांघते हुए,
खुले आसमान में, जिसका कोई अंतिम छोर नहीं।
और फिर पूरी एक कहानी,
विचरण करती है ब्रह्माण्ड में—
हमारी प्रेम कहानी। 💞💞
ए सुनों पंडिताइन❤️
चाँद, सूरज और तारों से पूर्ण आकाशमण्डल में
तुम सप्तऋषि सी हो।
जिसके बिना सब कुछ अपूर्ण है,
जैसे बिन काशी के गँगा।
💞💞
मुझे तुमसे बेहतर की तलाश,
न थी, न है, न रहेगी।
मुझे तुम्हारी ज़रूरत थी,
है, और सारी ज़िंदगी रहेगी।
💞💞
तुम जब भी आना
अपने साथ ले आना समंदर।
जब सूरज डूब रहा होगा
और चांद निकलने को आतुर होगा।
हम मिलेंगे समंदर किनारे,
किसी हल्के से सुनहरे,
थोड़े धुंधलाए से रेत के घर में।

ये दुनियां
कभी इतनी बड़ी नहीं हो सकेगी,
कि तुम आ न सको।
और न ही ये हो पाएगी इतनी छोटी,
कि हमें मिलने की जगह न दे सकें।
एक सुबह
तुमने मुझे चूमा तो खिले फूल।
एक दोपहर
तुमने मुझे चूमा तो बरसे बादल।
एक शाम
तुमने मुझे चूमा तो घर लौटे पक्षी।
एक रात
तुमने मुझे चूमा तो चमका चाँद।

और जब-जब
तुमने मुझे नहीं चूमा,
तब-तब पनपीं शायरियाँ...
दिल करता है कि
बस यूँ ही कोई
समझ ले, संभाल ले, समेट ले... 🖤
सोलह, बत्तीस, चौसठ
सारे श्रृंगार एक तरफ,
नैनों से बात करती
तेरी मुस्कुराती बिंदिया का प्यार एक तरफ। 🥰
💞💞
तेरा इश्क भी महंगाई की तरह है...
दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जाता है।
अभी कभी दुनिया के लिए इतने महत्वपूर्ण नही होते हैं,
जितना एक प्रेमी के लिए होते हैं।
यदि कोई आपको स्पेशल फील करवा रहा है,
तो उस शक्श को कभी खोना मत।
किसी के लिए हर वक्त हाजिर होके तो देखो...
"खास से फ़ालतू" बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगता...!!
मेरे लिए भी कोई लिखती शायरी,
काश में सजता किसी के होठ पर।
मैं ना किसी का पहला प्रेम बन पाया,
ना ही आखिरी। 😊
💞💞
यादों के बक्से में बंद हो गया एक और दिन,
खाबों के पन्नों को खोलकर बैठी है रात फिर से...
तू क़यामत तक धरने पर बैठ ऐ किस्मत,
मैं कोशिशों से कभी इस्तीफ़ा नहीं दूंगा।
जिंदगी भर ग़म बनकर आंखों में रहो,
खुशी का एक आंसू बनकर गिर जाना गवारा नहीं।
आँसू का कोई वजह नहीं होता,
लेकिन निकल जाने पर मन हल्का हो जाता है। 😔
टूट गयी सरकारी लाठी,
या टूटी मर्यादा है?
मार-पीट पर छुपी साधी,
या प्रशासन को बांधा है?
युवाओं बेख़ौफ़ बढ़ो,
तुमसे ना कोई ज़्यादा है।
— नेहा यादव
बस वो मुस्कुराहट ही कहीं खो गई है,
बाकी तो मैं भी बहुत खुश हूँ आजकल। 🙂🙂
कोई तो बहाना दे ऐ जिंदगी,
कि मैं जीने को मजबूर हो जाऊं!
पढ़ रहा हूँ इश्क़ की किताबें दोस्तों,
अगर बन गया वकील, तो बेवफाओं की खैर नहीं...
खुशमिजाजी मशहूर है हमारी,
सादगी भी कमाल है।
हम शरारती भी इंतेहा के हैं,
तन्हा भी बेमिसाल हैं।
हमें गुमनामी मंजूर है, पहचान आप रख लिजिए।
आने दो श्राप हिस्से में, वरदान आप रख लिजिए।
फीता फेंकोगे, कचहरी जाओगे, तारीखें पड़ेंगी—
हमसे नहीं होगा सब, ये मकान आप रख लिजिए।
वाह-वाही के निवाले तुम्हारी आदत हो गए हैं—
भूख लग सकती है, कद्रदान आप रख लिजिए।
देनी ही है तो ये धूल चढ़ी पुरानी किताबें दे दो—
ये दुर्लभ तलवार, तीर-कमान आप रख लीजिए।
यूं दिखावे की खातिर ओढ़ ये लेना इंसानियत—
गर यही ईमान है तो ये ईमान आप रख लीजिए।
💞💞
बड़े बेताब थे वो मोहब्बत करने को हमसे,
जब मैंने भी कर ली, तो उन्होंने शौक बदल दिया।
काया काशी हो गयी, मन बद्री केदार...
ढाई आखर ने किया, रोम-रोम हरिद्वार।
कभी आँसू, कभी सजदा, कभी हाथ उठ जाता है—
खुदा बहुत याद आता है, जब बंदा टूट जाता है।
मैं खो भी दूँ सब कुछ, और मलाल भी ना करूं—
वो कहती जाए बेबाक, और मैं सवाल भी ना करूँ।

मिलेंगे एक रोज़ तसल्ली से हम दोनों,
दरमियान से बस यह ज़िन्दगी गुज़र जाने दो।
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