"प्रेम के अनकहे अनुबंध: एक गहरी अनुभूति"
प्रेम के कुछ अनुबंध...
प्रेम के कुछ अनुबंध अभी अधूरे हैं।
होठों पर चुँबन शब्दों का सार बदल देते हैं,
मैं कुछ कहता, तुम कुछ सुनते,
वक्तव्यों के अर्थ बदल जाते।
ऑखों का गीलापन दृश्य बदल देता।
होता कुछ, दिखता कुछ,
ख़ारे पानी में घुलती मिठास,
बातों, वादों के सभी संवाद प्रतीक्षित हैं,
संबंध अधूरे हैं।
प्रेम के... 🌹💕
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प्रेम का वास्तविक अर्थ
केवल पा लेना ही प्रेम नहीं।
किसी को बिना पाए भी उसी का होकर रहना प्रेम है।
जो समझाया न जा सके, वो प्रेम है।
जो महसूस हो रूह की गहराइयों तक,
शब्दों से परे बंद आँखों से जो महसूस हो,
वो सबसे सुंदर एहसास प्रेम है।
हर आहट में जिसके आने का विश्वास शामिल हो,
वो हर पल का एहसास प्रेम है।
प्रेम का निष्छल रूप
ये जानते हुए भी कि किसी का प्रेम आपके भाग्य में नहीं,
उसे प्रेम करना और हर दिन प्रेम का प्रगाढ़ बनना,
प्रेम का सबसे निष्छल रूप है।
प्रेम का शाश्वत स्वरूप
प्रेम एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
प्रेम को परिभाषित करना कठिन है,
क्योंकि प्रेम में सिर्फ प्रेम को जिया जाता है।
प्रेम एक शाश्वत सत्य है जिसे कतई नकारा नहीं जा सकता।
प्रकृति से प्रेम का अनुभव
मैं तुम्हें ले जाना चाहता हूं घने जंगल में,
इसलिए नहीं कि मैं वहां ले जाकर तुमसे प्रेम कर सकूं।
मैं चाहता हूं तुम पकड़ के चलो मेरा हाथ ताकि,
लौटते वक्त तुम्हारे हाथ में हो केवड़े के फूल।
तुम समझो प्रकृति को ताकि मेरे प्रेम को गहराई से समझ सको।
समाप्ति:
प्रेम एक अवस्था है, जीने की जिसे ताउम्र जिया जा सकता है।
प्रेम राग है, प्रेम रागिनी है, प्रेम स्वर है, प्रेम लय है।
प्रेम तो प्रेम है!
अहा प्रेम...
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