घमंड (Arrogance) पर शायरी | Arrogance People Shayari

घमंड (Arrogance) पर शायरी | Arrogance People Shayari

Introduction:

यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ बेहतरीन शायरी, जो घमंड और अहम के विषय में हैं। ये शायरी हमें सिखाती हैं कि घमंड कभी भी किसी भी इंसान को सच्चा नहीं बनाता।

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Shayari Collection:

  1. घमंड था पानी को खुद पर, 💫🦄
    की सब उसमे डूब जाते हैं, 🐍🌺🥀
    एक तेल की बूँद ने तैर कर, 🐗🥀
    सारा घमंड तोड़ दिया। 🌟💫🥀

  2. सूरत का घमंड कभी मत सर चढ़ाना, 👑
    उम्र ढलने की देर है सारा घमंड उतर जाएगा। 🙄💢

  3. घमंड भले ही क्यों न हो खानदानी, 🌟
    घमंड के चलते बर्बाद हो जाती है जिंदगानी। 🦒😒💢

  4. घमंडी लोगों की भी कहानी होती है, 😒😠👑
    इगो दिखाना खानदानी होता है। 🙄💔🐗

  5. ज्यादा घमंड इंसान को तब आता है, 🐍🦍
    जब उसे लगता है मैंने इतना बड़ा किया। 💥👑🚫

  6. जो आपको झुकाने के लिए किसी भी हद तक चले जाए, 😠👑
    उनके आगे किसी क़ीमत पर मत झुकना, 🐍🌹💼
    यह घमंड नहीं आत्मसम्मान की बात है। ✨

  7. गुरूर की गर्दन टूट कर ज़मीन पर गिर जाती है, 🥀🤦‍♂️
    जब वक़्त की तलवार एक वार करती है। 😒

  8. संकल्प जब भी लो कुछ अच्छा काम करने का, 🤦‍♂️🦓🌟
    तो उसे हो जाने के बाद शपथ ज़रूर लेना घमंड न करने का। 🐺🦊

  9. मत कर इतना घमंड मेरी जान, 😒
    एक दिन तु भी जाएगा श्मशान। 🙄

  10. जो थोड़ा कुछ करते है, 💫🚫🐍
    वही ज्यादा घमंड करते है। 🦍

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  1. चाहे कितने भी हम होते है मजबूर, 😤🦁😒
    जो घमंड करते है उनसे रहते है दूर। 😒👑

  2. हमें मोहब्बत की बातें मत सिखाओ, 🚶‍♂️🦒🚫
    हमने मोहब्बत भरी बहुत सी किताबें पढ़ी है। 🤦‍♂️

  3. जिंदगी में चाहे कुछ भी कर लो पर घमंड मत करना, 🦓🦓🦍
    क्योंकि पत्थर को पानी में डालने पर वह डुब जाता है। 🙄🐗🚫

  4. आज भी दो प्यार करने वालों में बातें बंद है, 🌷💢
    प्यार कम है ये वजह नहीं इस चुप्पी की, 🦁💫💁‍♂️
    घमंड ज्यादा है ये इसकी वजह है। 🌸👑🦍

  5. फायदा नहीं इतना पढ़ कर कामियाब होने का, 🐗👑
    अगर गर्व और घमंड में फ़र्क़ ही न पता चले। 🦁👑

घमंड पर बेहतरीन शायरी का संग्रह

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मोहब्बत के महीने में घमंड मत करना,
प्रोपोज हम करेंगे तुम बस हा कर देना।


अपनी उम्र और पैसों पर कभी घमंड मत करना,
क्योंकि जो चीज़ें गिनी जा सकें वो यक़ीनन ख़त्म हो जाती हैं।


मुझे घमंड था की मेरे चाहने वाले बहुत हैं इस दुनिया में,
लेकिन बाद में पता चला की सब चाहते हैं अपनी जरूरत के लिए।


घमंडी नहीं हूं साहब बस जहां दिल ना लगे वहां,
जबरदस्ती बात करने की आदत नहीं मेरी।


घमंड किस चीज़ का हैं जनाब गुस्ल,
कफ़न दुआ दफ़न और यूं हर कहानी खत्म।


तेरी चाहत में रुसवा यूँ सरे बाज़ार हो गये,
हमने ही दिल खोया और हम ही गुनहगार हो गये।


प्रकृति तेरा रूठना भी जरूरी था इंसान का घमंड टूटना भी जरूरी था,
हर कोई खुद को खुदा समझ बैठा था ये शक दूर होना भी जरुरी था।


क्यों न करूं घमंड में अपने आप पर,
हर वक्त सर पर हाथ है महाकाल के।


इरफान को शोहरते कितनी भी मिले तकब्बूर नही रखता,
इरफान सब भूल जाता है मगर नफरत नही रखता।


जमाने भर की रुसवाईयाँ और बेचैन रातें,
ऐ दिल कुछ तो बता ये माजरा क्या है।


खुलता किसी पे क्या मेरे दिल का मामला,
शायरों के इन्तिखाब ने रुसवा किया मुझे।


कुछ कमी रह गयी है शायद मेरी रुसवाइयों में,
तुझसे से फिर मैं दिल लगाना चाहता हूँ।


कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उसने,
बात तो सच है मगर बात है रुसवाई की।


अपनी रुसवाई तेरे नाम का चर्चा देखूं,
एक जरा शेर कहूँ और मैं क्या क्या देखूं।


क्या मिला तुम को मेरे इश्क़ का चर्चा कर के,
तुम भी रुस्वा हुए आख़िर मुझे रुस्वा कर के।


तेरी साँसों की आहट को भी जब पहचानता हूँ मैं,
मुझे रुसवा करे तू इसकी गुंजाइश कहाँ है अब।


किसी के हक़ में तो किसी के खिलाफ लिख दूंगा,
मैं तो आईना हु जो देखूंगा साफ लिख दूंगा।


मोहब्बत की कहूँ देवी या तुमको बंदगी कह दूँ,
बुरा मानो न गर हमदम तो तुमको ज़िन्दगी कह दूँ।


अच्छा लगता हैं तेरा नाम मेरे नाम के साथ,
जैसे कोई खूबसूरत जगह हो हसीन शाम के साथ।

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जी चाहे कि दुनिया की हर एक फ़िक्र भुला कर,
दिल की बातें सुनाऊं तुझे मैं पास बिठाकर।


जरा छू लूँ तुमको कि मुझको यकीन आ जाये,
लोग कहते हैं मुझे साये से मोहब्बत है।


कुछ हदें हैं मेरी कुछ हदें हैं तेरी,
लेकिन दायरों में भी इश्क़ होता है।


वो लम्हा बना दो मुझे,
जो गुजर कर भी तुम्हारे साथ रहे।


मेरे सीने में एक दिल है,
उस दिल की धड़कन हो तुम।


पाना और खोना तो किस्मत की बात है,
मगर चाहते रहना तो अपने हाथ में है।


हमेशा के लिए रख लो ना पास मुझे अपने,
कोई पूछे तो बता देना किरायेदार है दिल का।


कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,
कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।


मैं वक़्त बन जाऊं तू बन जाना कोई लम्हा,
मैं तुझमें गुजर जाऊं तू मुझमें गुजर जाना।


तुम्हारा इश्क़ मेरे लिए हवा जैसा है,
जरा सा कम हो तो सांसे रुकने लगती हैं।


तेरे अहसास की खुशबू रग रग में समाई है,
अब तू ही बता क्या इसकी भी कोई दवाई है।

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हाथ थामे रखना दुनिया में भीड़ भारी है,
खो ना जाऊं कहीं मै ये जिम्मेदारी तुम्हारी है।


रिश्तों को बस इस तरह से बचा लिया करो,
कभी मान जाया करो तो कभी मना लिया करो।


मेरी मोहब्बत की मौत हो चुकी है,
जनाज़े का ऐलान बाद में किया जाएगा।


माना कि वक्त सता रहा है,
मगर कैसे जीना है वो भी तो बता रहा है।


साथ तो जिंदगी भी छोड़ देती है,
फिर शिकायत सिर्फ लोगों से क्यूँ।


कहाँ ढूँढ़ते हो तुम इश्क़ को-ऐ-बेखबर,
ये ख़ुद ही ढूंढ़ लेता है जिसे बर्बाद करना हो।


मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ।


फ़ायदे खुद-कुशी के समझा कर,
उसने तोहफ़े में रस्सियां दीं है।


मैं बहुत सीमित हूं अपने शब्दों में,
लेकिन बहुत विस्तृत हूं अपने अर्थों में।


सहर का जिक्र अन्धेरे की बात ही नही हुई,
वह आए जबसे मिरे घर मे ही रात न हुई।


उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है,
जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है।


छोड़ अपने आसमानी ख्याल,
पहली अपनी जमीन का वजूद सम्भाल।


जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था,
माँ तूने गोद में उठा कर जब प्यार किया था।


हर दफा तुम कुछ नए नजर आ रहे हो,
मेरे खयालों में तुम दिन पर दिन चले आ रहे हो।


देखो कैसे अपने गम छुपाये जा रहा हूं,
आंखों में आंसू लेकर बेवजह मुस्कुराये जा रहा हूं।


जमाना वफादार नहीं तो फिर क्या हुआ,
धोखेबाज भी तो हमेशा अपने ही होते है।


छुपे-छुपे से रेहते हैं सरेआम नही होते,
कुछ रिश्ते सिर्फ अहसास हैं उनके नाम नही होते।


सच तो कह दूँ मगर इस दौर के इंसानों को,
बात जो दिल से निकलती है बुरी लगती है।


वक़्त कभी वक़्त को यूँ भी दोहराता है,
गर पाने की ज़िद हो तो सब मिल जाता है।

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वही हसरतें वही रंजिशें ना ही दर्द-ए-दिल में कोई कमी हुई,
अजीब सी है तेरी मोहब्बत ना मिल सकी ना ख़त्म हुई।


बिछड़कर भी कहाँ बिछड़ते हो तुम,
याद बनकर हर पल साथ रहते हो तुम।


फीकी हर चुनरी फीका हर बंधेज,
जिसने रंगा रूह को वो सच्चा रंगरेज।


नशा होकर भी हलाल होता है,
ये चाय का प्याला भी कमाल होता है।


तारीफ आपकी करे कैसे अल्फाज़ नहीं मिलते,
आप जैसे किसी और में ये अंदाज नहीं मिलते।


ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है साहब,
लोगों की आदत है, सामने सलाम पीछे बदनाम।


Conclusion:

यह शायरी हमें याद दिलाती है कि घमंड इंसान के जीवन में केवल बुराई ही लाता है। हमें अपने अहंकार को छोड़कर एक विनम्र और साधारण जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए।

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