कविता और शायरी: प्रकृति प्रदत्त मुक्त भावनाओं की अभिव्यक्ति

कविता या शायरी कभी सीखी नहीं जा सकती। यह एक नैसर्गिक कला है, जो हमारे हृदय के भीतर गहराई में समाहित होती है। यह कोई विधि या विधान का हिस्सा नहीं, बल्कि एक स्वाभाविक प्रवाह है, जो ठीक उसी तरह फूट पड़ता है, जैसे पहाड़ों से कोई नदी। शायरी और कविता हमारे भीतर की वह गहन अभिव्यक्ति है, जिसे किसी व्याकरण या नियमों में बांधने की आवश्यकता नहीं होती। जब भावनाएँ हृदय में उमड़ती हैं, तब यह सृजन एक सिंधु ज्वार की भांति बाहर आती हैं।
कविता और शायरी हमें यह अवसर देती है कि हम अपनी भावनाओं को बिना किसी सीमा के, पूरी तरह से व्यक्त कर सकें। यह वह साधन है, जिससे हम अपने अंदर के अनकहे शब्दों को कागज पर उतारते हैं, जो हमारी पीड़ा, प्रेम, यादें, और संवेदनाओं का रूप लेती हैं।
कविता क्यों लिखी जाती है?
इस प्रश्न का उत्तर मेरी रचना "मैं कलम हूँ" के माध्यम से देना चाहूँगा। यह कविता दर्शाती है कि कलम क्यों लिखती है, और उसके पीछे के भाव क्या होते हैं।

मैं कलम हूँ
जब सांसों के कंपन
वायु की नमी को गरम करते हैं,
तब मैं यादों को ताज़ा
कराने के लिए रोती हूँ।
मैं कलम हूँ।
जब आँखों का गर्म पानी
जिस्म से आलिंगन करता है,
तब मैं कच्चे जख्मों को
पकाने के लिए रोती हूँ।
मैं कलम हूँ।
जब उसके स्पर्श की महक
कण-कण में महसूस होती है,
तब मैं पिघल कर उसमें
समाने के लिए रोती हूँ।
मैं कलम हूँ।
जब कोई बचपन
आंगन में आँसू गिनता है,
तब मैं उसको हर दम
हँसाने के लिए रोती हूँ।
मैं कलम हूँ।
जब प्रियतम
बिना वजह ही रूठ जाते हैं,
तब मैं उन्हें हर बार
मनाने के लिए रोती हूँ।
मैं कलम हूँ।
जब कोई कोरा कागज
अपना अस्तित्व खोता है,
तब मैं उसका वजूद
बचाने के लिये रोती हूँ।
मैं कलम हूँ।
भावनाओं की ताकत: कलम की आवाज़

"मैं कलम हूँ" कविता की हर पंक्ति में एक गहरी संवेदना छिपी हुई है। यह कविता उस आंतरिक आवाज़ को दर्शाती है, जो तब जन्म लेती है जब हम भावनाओं के सागर में डूबते हैं। जब हृदय में पीड़ा होती है, जब यादों का बोझ हल्का करना होता है, जब बचपन की मासूमियत और प्रियतम के प्यार की कसक महसूस होती है, तब कलम अपने आप लिखने लगती है।
कलम न केवल हमारी पीड़ा और दुखों का माध्यम होती है, बल्कि यह उन क्षणों में भी हमारा साथ देती है, जब हम खुश होते हैं, जब हमें किसी को हँसाना होता है, या जब हमें किसी प्रिय को मनाना होता है।
कविता लिखने की प्रक्रिया एक भावनात्मक उथल-पुथल होती है, जो हमारे भीतर की सबसे गहरी भावनाओं को शब्दों में ढाल देती है। इसका सबसे सुंदर पहलू यह है कि इसमें कोई नियम नहीं होते; यह स्वतः प्रवाहित होती है, बिना किसी रोक-टोक के।
निष्कर्ष
कविता या शायरी किसी विधि से नहीं सीखी जा सकती। यह हमारे भीतर की आत्मा की आवाज़ होती है, जो तब निकलती है जब हमारी भावनाएँ चरम पर होती हैं। "मैं कलम हूँ" कविता इस तथ्य का सजीव उदाहरण है कि कैसे एक कलम हमारी भावनाओं को आकार देती है और हमें खुद से और दुनिया से जोड़ती है।
जब भी आपकी भावनाएं उबाल पर हों, जब कोई शब्द अनकहे रह जाएं, तब कलम उठाइए और अपने भीतर की नदी को बहने दीजिए।
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