गुस्सा और प्यार: एक अनोखा रिश्ता
गुस्सा और प्यार, ये दो अलग-अलग भावनाएँ हैं, लेकिन जब ये एक साथ आती हैं, तो रिश्ते को और गहरा बनाती हैं। गुस्सा कभी-कभी हमारी दूरियों का कारण बनता है, लेकिन प्यार हमें फिर से जोड़ने का काम करता है। यहाँ हम आपकी भावनाओं को बयां करने वाली कुछ शायरी पेश कर रहे हैं:
गुस्सा तुम्हारा दिल को चोट पहुंचाए,
पर कभी भी न खो दो हमारे प्यार को।
गुस्से में हो तुम, हमसे दूर न होना,
जब भी खो जाएं हम, बुला लेना हमें।
गुस्से की आग में जलते हुए हों ना,
ताकत हो तुम्हारी उसे कुबूलने की।
नजरअंदाज करने से बढ़ता है गुस्सा,
चुप रहकर दिल को जताने में कमी न करो।
गुस्सा तुम्हारा भी है खास, हमारा भी है,
बातों-बातों में हो जाए जब राबता तुम्हारा।
गुस्सा आता है जब खो देते हैं तुम्हें,
बस इतना समझ लो, आदत नहीं तुम्हारी।
गुस्सा करने से भले हो जाएं अलग,
मिलते हैं फिर भी हम, एक दूजे के साथ।
रास्ते में बिखर जाए तुम्हारा गुस्सा,
हम हैं यहां, साथ है हमारा दिल तुम्हारे साथ।
गुस्से में भी प्यार की बात करो,
क्योंकि गुस्सा होता है हर किसी से।
गुस्सा करो ना, करना हो तो हमसे करो,
हम तो तुम्हारे हैं, गुस्सा भी संभालेंगे।
गुस्से के आगे बेवजह रुठना नहीं,
दिल के जख्मों को सुलझा कर बात करो।
गुस्से से बढ़कर है तुम्हारी मुस्कान,
बस आँखों में छुपा लो उसे फिर तोड़ना।
गुस्सा आए तो समझ लेना हमें,
हमसे प्यार तुम्हारे दिल में बसता है।
गुस्से के बाद भी तुम्हारी हंसी हमें भाए,
क्योंकि तुम्हारे बिना हमारी खुशियाँ अधूरी हैं।
गुस्सा आता है तुम्हें देखकर,
पर हम भी तुम्हारे गुस्से में खो जाते हैं।
गुस्सा छोड़ दो, बिता दो वक्त हमारे साथ,
हमसे बिछड़ जाओगे तो होगी बड़ी क्यारी बात।
गुस्से में भी है तुम्हारी आँखों में ख़ौफ,
न छोड़ना हाथ हमारा, बस यूँही साथ बने रहो।
गुस्सा हो जाओ तुम, पर दिल को ना भुलाना,
तुम्हारे बिना जीवन अधूरा सा लगता है।
गुस्सा हो तुम, पर दिल को न भाना,
हम तो हमेशा तुम्हारे साथ खड़े रहेंगे।
गुस्से में तुम जब भी दूर हो जाओ,
बस याद रखना, हम तुम्हारे पास हैं सदा।
गुस्सा छोड़ दो, आओ गले लगा लें,
खो दें एक दूजे को, दिल में समा लें।
गुस्से में हो तुम, हमें तो सब है पता,
तुम्हारे इरादे में है सिर्फ प्यार का झटका।
गुस्सा अच्छी चीज है, जब हमसे हो तुम्हारी मुलाकात,
फिर तो दिल चाहता है, बस तुमसे गले लगाने को।
गुस्सा है वक्त का एक हसीं रंग,
आओ मिटा दें उसे, प्यार से अपने संग।
गुस्से से नज़रें चुराकर देखा है हमने,
ख़ामोशी से छुपा लो, वरना हम देख लेंगे।
गुस्सा छोड़ो, हसरतें बाकी हैं बहुत,
हम बस चाहते हैं, तुम्हारे साथ जीने को।
गुस्से की आँधी में भी ढूंढ लेते हैं तुम्हें,
हमारी राहों में तुम्हारी परछाईं बने रहो।
गुस्सा छोड़ दो, वक्त बिताएं ख़ुशियों के संग,
तुम्हारी ख़ता भूल जाएं, और जिएं जिंदगी रंगीन रंग।
गुस्सा तुम्हारा है, और इरादे हमारे सच्चे,
प्यार के साथ हम जीना चाहते हैं सदा।
गुस्से की बादलों को हँसी से छुपा दो,
हम तो चाहते हैं, बस ख़ुशियों से तुम्हें भर दो।
गुस्सा है ज़िन्दगी का एक रंग,
पर जब भी आए तुम्हारे दिल में, हमसे प्यार करना न भूलना।
गुस्से की बादली में छुपा तुम्हारा दर्द,
बोलने आओ जब तक हम साथ हैं, गुस्सा करके कर नहीं देंगे मर्द।
गुस्से का हो या फिर मोहब्बत का असर,
जब तुम्हारी आँखों में देखते हैं, सब कुछ भूल जाते हैं हमसर।
गुस्सा तुम्हारा है मेरे दिल के क़रीब,
बस ये जान लो, तुम्हारे बिना दिल रहे ना।
गुस्सा है तुम्हारा ख़ुशियों का दरिया जो रुकता नहीं,
पर तुम्हारे साथ बिताए वक्त में खो जाता है सबकुछ।
गुस्सा हो जब तुम, हमसे दूर जाने को कहते हो,
हम तो हर वक़्त तुम्हारे साथ चलने को तैयार हैं।
गुस्से में भी छुपी है तुम्हारी मुस्कान की क़ीमत,
छोड़ दो अब इन रूठने की बातें, हमारी जिंदगी है तुम्हारे साथ।
गुस्सा छोड़ दो, बातें करो दिल के क़रीब,
अपने प्यार को जताने के लिए ख़ुद को तैयार करो।
गुस्सा हो जब भी तुम्हें तन्हा पाते हैं,
हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं, ये दिल याद रखते हैं।
गुस्सा छोड़ दो, हँसते रहो हमेशा,
क्योंकि हमारी जिंदगी है तुम्हारे साथ रंगीन संग।
गुस्से से भरी हुई है तुम्हारी आँखों में ज्वाला,
लेकिन जब भी देखते हैं, तुम्हारे साथ है सारा जहां।
गुस्सा और प्यार: एक अनोखा रिश्ता
गुस्सा और प्यार, ये दोनों एक-दूसरे के साथ मिलकर रिश्ते की एक खास पहचान बनाते हैं। जब हम प्यार में होते हैं, तब कभी-कभी गुस्सा भी आता है। यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ भावनाएँ जो इस अनोखे रिश्ते को दर्शाती हैं:
हमारा रूठना मनाना तो लगा रहता है,
हमारी आँखों में प्यार उनके चहरे पर गुस्सा तो सदा रहता है!
दिमाग से पैदल है वो मगर दिल की साफ़,
प्यार से “तू” बोलती है और गुस्से में “आप”!
साथ छोड़ना बहुत मुश्किल है, तेरे से नाता तोड़ना बहुत मुश्किल है,
तू जान है इस दिल की तुझसे रूठ जाना बहुत मुश्किल है!
तुम्हारे चेहरे पर गुस्सा देखकर ना जाने,
क्यूँ तुम पर और भी प्यार आता है!
जब तुम गुस्सा होते हो और हसीन लगते हो,
जी करता है तुम्हे और तंग करता रहूँ!
आज दिल कर रहा था, बच्चों की तरह रूठ ही जाऊं,
पर फिर सोचा क्या फायदा, मनाएगा कौन?
कोई और तकलीफ दे तो गुस्सा आता है,
पर जब कोई अपना तकलीफ दे तो रोना आता है!
कैसे कह दें कि उनके कुछ नहीं लगते हम,
उनके गुस्से पर आज भी हमारा ही हक है!
कहने को तो अनेक शिकायतें थी उनसे,
वो ज़रा सा पास क्या आए, सारा गुस्सा मोम सा पिघल गया!
गुस्सा इतना है कि तुमसे कभी बात भी न करूँ,
फिर भी दिल में तेरी फ़िक्र खुद से ज्यादा है!
देखो इस अजीब तरह से भी इश्क हमसे निभाते हैं वो,
हम पे गुस्सा कर फिर कंधे पर सर रख सो जाती हैं वो!
सुनो! खुल के ज़िंदगी जिया करो, हसीं के घूंट पीया करो,
दिल रोने सा लगता है, तुम यूँ गुस्सा न किया करो!
दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है,
होश जब आता है तो वक्त निकल जाता है!
इतनी सारी शिकायते थीं उनके आने से पहले,
उन्हो ने आकर हाल क्या पूछा, अपनी शिकायतों पे गुस्सा आ गया!
मैं कैसे मनाऊँ उसे वो नादान है बहुत,
गुस्सा कर के मुझ पे खुद भी परेशान रहता है!
इतना भी हमसे नाराज ना हुआ करो,
थोड़े बुरे ज़रूर हैं पर बेवफा नहीं!
अब अकेला ही रहने दो यार, तंग आ गए हैं,
ये रोज रोज के गुस्से से!
गुस्सा उन बादलों की तरह है जो बरसने से पहले बहुत गर्मी करते हैं,
और आँसूं उस बारिश की तरह हैं, जो बरसने के बाद बहुत ठंडक देते हैं!
कभी ना समझे तुम्हारे ऐसे बर्ताव का मतलब,
गुस्सा कर हम पर करते रहते हैं जवाब तलब!
ना जाने क्यूँ नजर लगी ज़माने की,
अब वजह मिलती नहीं मुस्कुराने की,
तुम्हारा गुस्सा होना तो जायज़ था,
हमारी आदत छुट गई मनाने की!
न तेरी शान कम होती, न रूतबा ही घटा होता,
जो गुस्से में कहा तुमने, वही हँस के कहा होता!
साथ छोड़ना बहुत मुश्किल है,
तेरे से नाता तोड़ना बहुत मुश्किल है,
तू जान इस दिल की, तुझसे रूठ जाना बहुत मुश्किल है!
बेहद गुस्सा करते हो आजकल नफ़रत,
करने लगे हो या मोहब्बत ज्यादा हो गई!
पता है हमेशा के लिए रूठने वाले तुम नहीं,
गुस्सा होकर तुमसे बिछड़ने वाले हम नहीं!
गुस्से में भी उसका प्यार दिखता है,
तकलीफ भले मुझको दे, दर्द उसको होता है!
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