शायरी का जादू: जब दिल बोले और कलम लिखे
जनवरी, सपने दिखाती हैं... और दिसम्बर, आइना...
एक वो है जो, समझती नहीं, मेरे दिल के दर्द को... और यहाँ जमाना, मेरी कलम पढ़ कर, दीवाना हुआ जा रहा है...
ज्यादा तो मालूम नहीं मुझे लड़कियों के बारे में, पर सोचती जरूर होंगी मेरी शायरी के बारे में!
तेरे मुस्कुराने का असर सेहत पे होता है, लोग पूछ लेते हैं दवा का नाम क्या है।
लिपट लिपट के कह रही है ये 2024 की आखिरी रात... अलविदा कहने से पहले... मुझे एक बार गले से लगा लो...
तेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर चलना... मेरी ख्वाहिश ही नहीं दुआ भी है___!!
एक Rose तुम्हे हर रोज देंगे... एक रोज तुम्हे... अपना बनाएंगे... 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
आप ही मुलाक़ात की हिम्मत नहीं करते... हम तो हर वक़्त गुलाब तैयार रखते हैं... 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
उसने कहा, सखा तुम सिर्फ दर्द क्यों लिखते हो, प्रेम लिखा करो ना...
मैंने कहा, यही तो है जो मेरा अपना है, प्रेम ठहरता ही कब है किसी के पास...
फिर उसने कहा, ठहरता तो कुछ भी नहीं, ना प्रेम...ना ही दर्द...
मैंने उसकी तरफ गौर से देखते हुए कहा, और तुम.....?
मेरी कुछ अधूरी सी पड़ी नज्में, इंतजार में है तेरे लौटने के...
😊❤️
प्यार करो, जी भर के करो, बस उम्मीद मत रखो...!! क्योंकि, तकलीफ मोहब्बत नहीं, उम्मीदें देती हैं...!!
❤️😊सिर्फ तुमसे जो करनी है मुझे वो बातें... अब तलक खुद से भी छिपा कर रखी है मैंने...
😊❤️ख़ुद को मुझ में छोड़ गये हो, तुम्हें तो ठीक से बिछड़ना भी नहीं आता...
हम अकेले रहने वाले लोग है जनाब..!! हमारी बातों से लोग अक्सर नाराज़ हो जाते है।।
जैसी हो वैसी ही आ जाओ, सिंगार को रहने दो, बाल अगर बिखरे हैं, सीधी माँग नहीं निकली है, बाँधे नहीं हैं अँगिया के फीते तो भी कोई बात नहीं, जैसी हो वैसी ही आ जाओ, सिंगार को रहने दो।
बहुत परेशान करती है ये दिसम्बर की सर्दी, कुछ देर ही सही चले आओ मेरी बाहों में।
🙏तुम मेरे दिल के पसंदीदा शख्स हो, तुम्हे देख के रूह भी मुस्कुराती हैं 🥰
मैंने सदैव प्रयास किया, तुम्हें प्रेम का सागर देने का... मैंने सदैव प्रयास किया, तुम्हारे चेहरे की हँसी को कायम रखने का...
लेकिन मैं सदैव असफल रहा, क्योंकि तुम समझ ही नहीं पाए मेरे प्रेम को, तुम भाप ही ना सके मेरी भावनाओं में लिप्त परवाह को....
पता था कि हमारा साथ सम्भव नहीं है, फिर भी ढूंढी मैंने तुम्हारे साथ ठहर जाने की संभावनाएं...
लेकिन मेरे हिस्से आईं केवल असीमित प्रतीक्षाएँ, अनगिनत विवशताएँ, अनेक स्मृतियों का वेग, और विरह की पीड़ाओं का सागर....
अगर कुछ नहीं आया, तो वो था तुम्हारा 'साथ' और 'तुम'....!!
कुछ पुरुष होते हैं जो अपने ह्रदय में बसी स्त्री के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त नहीं कर पाते, पर वे प्रेम में उसके हर अंग, हर भाव पर एक किताब लिख सकते हैं, कविताएँ लिख सकते हैं, व्याख्या कर सकते हैं उसकी हर एक अदाओं पर, पर नहीं व्यक्त कर पाते तो उस स्त्री के प्रति अपना अथाह प्रेम.....
इतनी गहराई से लिखूंगा अपने शायरी में तुम्हें..!! कि पढ़ने वालों को तलब हो जाए, तुम्हें देखने की..!!
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