love peom and ❤ love shayari part 1
वह मस्जिदों की बात करती है, मैं मंदिरों में खोया रहता हूं...
वह चार टाइम की नमाज पड़ती है,
मैं महादेव का जाप करता रहता हूं...
वह वहां कुरान पड़ती है,
तो मैं यहां गीता पढ़ता हूं....
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जानता हूं नहीं कहानी कोई इस मोहब्बत की
फिर भी उसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं...!
जरा कह दो जा कर इन गरीब लोगो से
जो करोड़ो अरबों का कारोबार करते है
हमारी अमीरी, दिलों से नापी जाती है
वो पैसों से रिश्तों को शर्मसार करते है
हमारी बराबरी करना उनकी औकात नहीं
हम फकीर है एक बेवफा से प्यार करते है
अगर गुनाह है किसी को हसीं पल बांटना
ऐसे ऐसे गुनाह हम दिन में हजार करते है
रंग ही बदला है फितरत नहीं उन लोगो ने
मिजाज देखिए घर बुला कर वार करते है
आंगन में आया शक्श दुश्मन ही क्यों न हो
मेहमान पर हम भगवान सा एतबार करते है
वो कागजी नोटो से हमे खरीदना चाहते है
मगर जमीर बेचने का काम गद्दार करते है
मांग कर वो बेशक, मेरी जिंदगी भी लेले
मोहब्बत पर कुर्बान ये सांसे सौ बार करते है
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शब ये आखिर जा रही है तो कहीं तो जाएगी,
हम भी चलते हैं नहीं तो दोपहर हो जाएगी !
तुम निभाओ साथ गर तो मुख़्तलिफ़ इक बात हो,
ज़िन्दगी तो यूँ भी होनी है बसर हो जाएगी !
मुतमईन था मैं कि बाज़ी जीत कर ले जाऊंगा,
क्या खबर थी मात 'अहमद' की पेशतर हो जाएगी !
राह तन्हा जानकर क्यूं रुक गए चलते कदम,
चलते रहिए तो ज़मीं भी हमसफर हो जाएगी !
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काश कि हम मिलते ही नहीं
दिल में इश्क़ के फूल खिलते ही नहीं ,
दर्द हमे मिलता ही नहीं काश कि तुझसे
ये नाजुक सा दिल लगता ही नहीं ,
आंखें सूख सी गई है तेरे इंतज़ार में
काश कि ये आंखें तुझसे लड़ती ही नहीं
बाते करने को बहुत से लोग थे
काश कि तुझसे बातें करते ही नहीं ,
तो घाव दिल पर इतने गहरे
लगते ही नहीं !!
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कोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती,
मौत का एक दिन मु'अय्यन है,
नींद क्यों रात भर नहीं आती,
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी,
अब किसी बात पर नहीं आती,
जानता हूँ सवाब-ए-ता'अत-ओ-ज़हद,
पर तबीयत इधर नहीं आती,
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ,
वर्ना क्या बात कर नहीं आती,
क्यों न चीख़ूँ कि याद करते हैं,
मेरी आवाज़ गर नहीं आती,
दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता,
बू-ए-चारागर नहीं आती,
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी,
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती,
मरते हैं आरज़ू में मरने की,
मौत आती है पर नहीं आती,
काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब',
शर्म तुमको मगर नहीं आती।
-मिर्ज़ा ग़ालिब 💖
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जो हमारे साथ चले, तो खुशी मिले
वो गर हाथ छू ले, तो ज़िंदगी मिले
रास्ते ने मंजिल से गुमराह किया है
तू मेरी आंखों चूमे, तो रोशनी मिले
बारिश से दूर किया जिम्मेदारी ने मुझे
तू हमसफर बने,तो आवारगी मिले
एक से ख़्वाब थे, हम दोनो के कभी
मंज़िल हम दोनों को, एक सी मिले
जिस की टूट रही हों सांस बिस्तर पे
मुझे ज़िंदगी मिले,तो उसी की मिले
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मोहबत को जो निभाते हैं
उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं
उनको हमारा ये पैगाम हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो
फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए
किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
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तुम्हें दिल का हाल बताना चाहता हूं
चल रहे हैं जो ख्यालात सुनाना चाहता हूं
घुमा फिरा के बात करूं या सीधा बोल दूं
सुन लो साहेब तुम्हें दिल में छुपाना चाहता हूं
कुछ तो काम ऐसा हो जो मेरे कहने से हो
बस इतना सा तुम पे हक जताना चाहता हूं
खास थे खास हो खास ही रहोगे खलनायक
दिल ए नादान है तुम्हारा,ये तुम्हारे दिल को बताना चाहता हूं....
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ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे
अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे
मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िंदगी
उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करे
मेरी दुआ है और इक तरह से बद्दुआ भी है
ख़ुदा तुम्हें तुम्हारे जैसी बेटियाँ अता करे
बना चुका हूँ मैं मोहब्बतों के दर्द की दवा
अगर किसी को चाहिए तो मुझसे राब्ता करे
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प्यार नज़रो में आना नही चाहिए,
रोज़ मिलना मिलाना नही चाहिए,
लोग पागल समझने लगेंगे तुम्हे,
रात दिन मुस्कुराना नही चाहिए,
बारिशों के इरादे खतरनाख है,
अब पतंगे उड़ाना नहीं चाहिए...
मेने ये सोच कर दे दिया दिल उसे,
दिल किसीका दुखाना नहीं चाहिए...
एक कमले में अंजुम कटे जिंदगी,
हर जगह गुल खिलाना नहीं चाहिए..
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