दिल से निकली मोहब्बत की शायरी - Dil Se Nikali Mohabbat Ki Shayari

दिल से निकली मोहब्बत की शायरी

एक-तुम्हारा ख़्याल, दूसरा-ख़्यालों में तुम
तेरे ख्यालों के दरिया में डूब जानें से करार आता है,
मेरे दिल के आंगन में अब तेरी यादों के सिवा कौन आता हैं।

महफिलों में कैसे जाएं और क्या अर्ज करे तुम्हारा ये आशिक,
तुम साथ नहीं हो तो कैसे कहें के हमें इश्क़ आता है।

जब यार मेरा हो पास मेरे, मैं क्यूँ न हद से गुजर जाऊँ,
जिस्म बना लूँ उसे मैं अपना, या रूह मैं उसकी बन जाऊँ।

लबों से छू लूँ जिस्म तेरा, साँसों में साँस जगा जाऊँ,
तू कहे अगर इक बार मुझे, मैं खुद ही तुझमें समा जाऊँ।


मोहब्बत का इकरार

मुहब्बत हम कुछ इस तरह निभाएंगे,
उम्र के हर पड़ाव में बस तुझसे ही इश्क़ लड़ाएंगे।

बड़ी तफ्तीश से उन्होंने रपट लिखाई मेरी गुमशुदगी की,
मैं कतरा कतरा बरामद हुआ उनकी आंखों के कैदखाने से।


दिल से लिखी शायरी

ना गुलज़ार की तरह इश्क़ लिख पाता हूँ,
ना मीर सी गज़ल लिख पाता हूँ,
मैं तुझे जितना चाहता हूँ बस उतना इश्क़ लिख पाता हूँ।


तेरे ही ख्याल

तुझे अल्फाजों में लिखते-लिखते,
यूँ ही, ज़िंदगी की शाम हो जाये।
बस रहे तू ही, आबाद मेरे लफ्ज़ों में
चाहे ये, जिंदगी नीलाम हो जाये।


मोहब्बत का हसीन इज़हार

बहुत नायाब होते हैं जिन्हें हम अपना कहते हैं,
चलो तुमको इजाजत हैं कि तुम अनमोल हो जाओ।


इश्क़ और एहतियात

सब एक मशवरा तो दो...
एहतियात से इश्क़ करूं या इश्क़ से एहतियात??

जब से मिला हूँ उस से मैं इश्क़ लिख रहा हूँ
भूले न वो भुलाये मैं इश्क़ लिख रहा हूँ।


तुम्हारा साथ

तेरे ही किस्से तेरी कहानियाँ मिलेंगी मुझ में,
न जाने किस-किस अदा से तू आबाद है मुझ में।


हाले दिल

हाल दिल का सुनाना चाहता हूँ,
तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ।
कब तलक छुपाऊं अपनी मोहब्बत,
तुम्हे हाले दिल बताना चाहता हूँ।


मोहब्बत का सफर

तेरे इश्क़ की कहानी का पहला किरदार हूँ मैं,
तेरी कश्ती को पार लगाऊँगा ऐसी पतवार हूँ मैं।
मुझे समझने में तुम कोई जल्दीबाजी ना करना,
फ़ुर्सत में तुम्हें सुकून दूँगा ऐसा इतवार हूँ मैं।


सितंबर की मोहब्बत

कभी शिद्दत से गर्मी, कभी बारिश की फुहारें,
ये सितंबर, ये मोहब्बत, समझ से बाहर है हमारे।


खूबसूरत मोहब्बत

खूबसूरत मेरी शायरी नहीं, तेरी मोहब्बत है...
जो नूर बन कर झलकती है मेरे लफ़्ज़ों में।


तुम्हारा ख्याल

तुम्हे सोचता हूं और लिखता हूं बस,
शायरी से मेरे ख्यालात बन जाते हैं,
तुम्हारा ही इश्क़ है तुम्हारा ही हुस्न,
तुम्हारी ही महक है मेरे लफ़्ज़ों में।

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