जबरदस्त मोहब्बत शायरी!! सच्ची मोहब्बत शायरी !! (Awesome love poetry!! True Love Shayari!!)

जबरदस्त मोहब्बत शायरी!! सच्ची मोहब्बत शायरी !!

नए पौधो की तुम टहनियां मोड़ सकते हो 
ये वो बरगद है मियां जो तुमसे ना हिलेंगे।
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वो याद आता है मुझे काम काज़ के बीच
हम रोने ही लग जाते है हँसी मज़ाक के बीच।
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दौलत व शोहरत पाने के और भी रास्ते हैं,
जरूरी नहीं औरत जिस्म की नुमाइश 
करें। 
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मेरी जात पर शक है तो तलाश कर नया महबूब 
मैं कमजर्फ नहीं हूं जो वफादारी का एलान करूँ।
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जबरदस्त मोहब्बत शायरी

फना_ए_इश्क के दस्तूर तुझे क्या मालूम_ए_जॉन 
इश्क में दिल ही नही___सर भी दिए जाते है.
- जॉन एलिया साहब 💔🥀
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तबीयत खराब कर देती है हवा सरसरी 
बच कर रहना बड़ी बदमाश होती है फरवरी।
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अब इस फ़रवरी तो इज़हार नही हो पायेगा.
क्या करें हफ्ते भर का इश्क़' नही है तुमसे।
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खूबसूरत मोहब्बत शायरी Hindi

मर जाएं तो बढ़ जाती है इंसान की कीमत 
जिंदा रहे तो जीने की सजा देती है दुनिया।
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मिट्टी में मिला दे की जुदा हो नही सकता ,
अब इससे ज्यादा मैं तेरा हो नही सकता।
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हम तो दोस्ती में ही खुश थे
तुमने ही गले लगाकर बात बिगाड़ दी।
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मैं फिर से, ठीक तेरे जैसे की तलाश में हूँ,
गलती कर रहा हू, लेकिन होशोहवास में हूँ ।
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बेस्ट मोहब्बत शायरी

तुम्हारे नाम की हर लड़की से मिला हूं मैं
तुम्हारा नाम फकत तुम्हीं पर अच्छा लगता है।
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दुनिया का सबसे बड़ा बेवकूफ़ इंसान वो है
जो एक ही पत्थर से दो बार ठोकर खाए।
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मैं तुझे एक नज़र देखना चाहता हूं
इससे पहले कि फरिस्ते मेरी जान ले जायें।
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मेरा बिगड़ा हुआ लहज़ा दिखता है सबको
मेरी बिगड़ी हुई ज़िन्दगी किसी को नज़र नही आती।
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हमने माना के हम बुरे हैं मगर
आप कहते हैं तो बुरा लगता हैं।
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सच्ची मोहब्बत शायरी 2 लाइन in hindi

ये नए शख्स तू उसके इतना नजदीक ना जा,
छोड़ देती है औरत हर शख्स पुराना करके।
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उमर तन्हा गुजार डाली साहब
कोई आने का वादा कर गया था।
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मौत देखती रही
ज़िन्दगी ने ही मार दिया मुझे।
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तुम्हें पंसद थी ना शायरी मेरी
लौट आओ कुछ लिखा है तुम्हारे लिए।
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जीने की दुआ भी कोई दुआ है,मुर्शिद!
दुआ दीजिये उससे निकाह हो मेरा.!
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बेइंतहा मोहब्बत शायरी

उस शहर में "कब्र" है मेरी!!
न जानें उस लड़की पे कितनी बार मरा हु मैं।
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मैं उस शख़्स के लिए रो रहा हुँ,
जो दुसरो के साथ हँस रहा होगा.
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क्या ख़याल करें उसकी आदतों का हम...
जब उसे ख़याल नहीं कि हम जिंदा भी हैं की नहीं।
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जो हाथ की लकीर में नहीं था
जिंदगी उसी से टकरा गई।
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आज का अखबार, कल की रद्दी है
ये बात हर हुस्न को समझना होगा।
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दाद देते है तेरी मोहब्बत की
तुझे इश्क़ हुआ हर किसी से सिवाय मेरे।
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तेरी मोहब्बत शायरी

बस एक खुदा नही होती
वरना मां क्या नही होती।
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इश्क़ खुदकुशी का धंधा है,
अपनी ही लाश अपना ही कंधा है।
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मोहब्बत हाँथ में पहनी हुई चूड़ी के जैसी है,
संवारती है, खनकती है, खनक कर टूट जाती है।
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मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो,
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
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तेरे दिल में ठिकाना मिले जो उम्रभर,
फिर किसी आशियाने की परवाह नहीं मुझे।
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जनाज़ा देख कर मेरा वो बेवफ़ा बोल पड़ी
वही मरा है क्या जो रोज मुझपें मरता था।
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दिल हर किसी के लिए नहीं धड़कता ,
धड़कनों के भी अपने कुछ उसूल होते हैं।
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आंसू बहाकर रोक सकता था जिसे
आज हंस कर हमने जाने दिया उसे
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सिर्फ़ वादे कहाँ टूटते हैं,
साथ इन्सान भी टूट जाता है ।
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मेरे पास कितनी बातें हैं,
उनके पास सिर्फ़ “हम्म्म” है।
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मेरी खामोशी हजार आवाजे लगाती है
पर अफसोस वो तुम सुन नहीं सकते..!!
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सच्ची मोहब्बत शायरी Sad

वो रुकता ही नहीं किसी एक शख़्स पर,
जब देखो नया यार बना लेता है।
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वो मौत की परछाई था...
जो जिंदगी बन कर आया था।
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भूल गया वो शख्स मुझे कुछ इस तरहा से,
जैसे भूल जाता है कोई किसी को मरने के बाद!!
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जब सपने टूटे हो अपने छुटे हो
तो नींद की गोलियां भी असर नही करती।
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दाद बनती है मेरे हौसले की
उससे बिछड़ कर मरा नही में।
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वो तुम्हें छोड़ गए तो क्या हुआ,
यहाँ कई लोग जिन्दा हैं अपने महबूब के बगैर।
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फिदा होना मेरा उनपे लाजमी है,
हुस्न के ताजमहल को अंगड़ाई लेते जो देखा मैने।
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कागज़ पर रख कर खाना खाये तो भी कैसे
खून से लथपथ आता है अखबार आजकल।
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रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने मगर,
इश्क में पागल थे आँसू, ख़ुदकुशी करते चले गए।
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सच्ची मोहब्बत शायरी urdu

तू ज़रा हाथ मेरा थाम के देख तो सही,
लोग जल जायेगें महफ़िल मे चराग़ो की तरह ।
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कभी मिले फुर्सत तो इतना जरूर
बताना वो कौन सी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे न दे सके ।
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ग़म मुझे, हसरत मुझे, वहशत मुझे, सौदा मुझे,
एक दिल दे कर ख़ुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे।
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तमाशा ज़िन्दगीं का हुआ
कलाकार सब अपने निकलें ।
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मैंने पूछा एक पल में जान कैसे निकलती है
उसने चलते चलते मेरा हाथ छोड़ दिया।
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ऐ ज़िन्दगी ख़त्म कर सांसों का आना जाना।
मै थक चूका हूँ, खुद को ज़िंदा समझते समझते।
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कल थके-हारे परिंदों ने नसीहत की मुझे
शाम ढल जाए तो' तुम भी घर जाया करो।
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बेशक तुम सही थे ग़लत हम ही सही,
पर डांट कर मनाना तुम्हारा भी तो हक था।
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हम भी हुआ करते थे वकील इश्क वालों के कभी
नज़रे उनसे क्या मिली, आज खुद कटघरे में है ।
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इश्क़ भी क्या अज़ब बिमारी है
ज़िन्दगी हमारी है पर तलब तुम्हारी है।
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अरमान ही बरसो तक जला करते है
वरना इंसान तो एक पल में ख़ाक हो जाता है !!!
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रात के अँधेरे ने पूछा मुझसे
कहा गयी वो रात भर बाते करने वाली।
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ज़ख्म कहा कहा से मिले , छोड़ इन बातो को!
ज़िंदगी तू तो ये बता, सफ़र कितना बाकी हैं!
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पिछली रात मेरे कानों में बस इतना कह गयी
यार तेरी मोहब्बत तो अधुरी रह गयी !
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बात ये नही की मोहब्बत नही मिली मुझे!
हादसा ये है की ठुकराया गया हूं मैं!!
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उतार लीजिए पंखा मेरे कमरे से,
फिर ना कहना की कायर था में।
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